अपने हक के लिए टूरिस्ट ड्राइवर करेंगे आंदोलन


वाराणसी। देश की अर्थव्यवस्था की चौथी सबसे बड़ी कड़ी टूरिस्ट ड्राइवर आज वाहन मालिकों के शोषण का शिकार हो रहे हैं। 10-15 साल से काम कर रहे हैं  टूरिस्ट ड्राइवर मात्र 2500 से 3500 रुपए वेतन में अपने घर का खर्च कैसे चलाते हैं यह तो वही जाने, लेकिन इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि इतने कम वेतन में घर चलाना काफी मुश्किल काम होता होगा। टूरिस्ट ड्राइवरों का संगठन टूरिस्ट ड्राइवर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष शैलेंद्र त्रिपाठी ने बताया हमारे संगठन में 5000 ड्राइवर हैं जो देश के बाहर से आने वाले पर्यटकों को घुमाने का काम करते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि आज वह गाड़ी मालिकों के शोषण का शिकार हैं। कुछ तो वाहन मालिक ऐसे हैं जो फ्री में गाड़ी चलवाना चाहते हैं। 25 साल से इन टूरिस्ट ड्राइवरों की सैलरी नहीं बढ़ी है। यही नहीं इनको प्रॉपर वर्दी, जूता आज भी नहीं दिया जाता है। ये मोटर मालिक गवर्नमेंट को तो कुछ दिखाते हैं लेकिन हकीकत में होता कुछ और हैं। उन्होंने कहा कि उनकी खुराकी की व्यवस्था भी वाहन मालिक नहीं करते। इन्हें शहर से बाहर जानें पर ही रात के समय में खुराकी मिलती है।
       उन्होंने कहा कि सरकार इन ड्राइवरों की समस्याओं पर उदासीन है। सरकार द्वारा भी टूरिस्ट ड्राइवरों का एक्सीडेंटल बीमा नहीं कराया गया है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि हम अपने ड्राइवर और संचालक भाइयों के लिए सरकार द्वारा मानक के अनुरूप सैलरी, एक्सीडेंटल बीमा, मेडिक्लेम, फंड-बोनस और बाहर जाने पर रहने-खाने की व्यवस्था मिलनी चाहिए जो नहीं मिल रहा है। आज टूरिस्ट ड्राइवरों का पूरी तरह से शोषण हो रहा है, इसलिए टूरिस्ट ड्राइवर वेलफेयर सोसाइटी 1 नवंबर को पूर्ण तरीके से हड़ताल पर जाएंगे और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक हड़ताल जारी रखेंगे।


महत्वपूर्ण होती है इनकी जिम्मेदारी


बाहर से आने वाले टूरिस्ट को घुमाने की जिम्मेदारी टूरिस्ट ड्राइवरों की होती है ऐसे में उनकी जिम्मेदारी काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि घुमाने के साथ-साथ सुरक्षा का पूरा दायित्व भी इन्हीं टूरिस्ट ड्राइवरों पर होता है।