वाराणसी। दिपावली पर वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा बच्चो और बुजुर्गों पर पड़ता है क्योकि इनमे इम्यूनिटी कम होता है। इसलिए सांस फूलना, हृदय की गति तेज होने इत्यादि परेशानी हो जाती है। उपरोक्त बातें डॉ मंजू गुप्ता, चिकित्सा अधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, लालपुर, वाराणसी ने परफेक्ट मिशन प्रतिनिधि संजय मिश्रा से विशेष वार्ता के दौरान बतायी। उन्होंने ने आगे कहा कि आतिशबाजी जलाते समय अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चे जब आतिशबाजी कर रहे हो तो बड़ो को उनके साथ अवश्य रहना चाहिए तथा खुले अस्थान पर आतिशबाजी करना चाहिए। तेज आवाज और तेज रोशनी वाले पटाखों से बचना चाहिए। इससे ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है जो बीमारी का कारण बनता है।
दिवाली के समय हार्ट और दमा के मरीजो को कोशिश करना चाहिए कि वो बाहर न निकले क्योकि आतिशबाजी के धुंआ का प्रभाव और ज्यादा बढ़ सकता है तथा ध्वनि प्रदुषण से हृदय रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। जिससे मरीजो को परेशानी होती है। दिपावली पर आतिशबाजी के समय बहुत सावधानी बरतना चाहिए बड़ो की देख रेख में बच्चो की आतिशबाजी जलाने देना चाहिए और खुले में ही आतिशबाजी करना चाहिए पटाखा जलाते समय कुछ आपातकालीन स्थिति के लिए दवा घर मे रखना जरूरी होता है जैसे सेवलान, बरनाल आदि हल्के जले स्थान पर टूथपेस्ट या आलू पीस कर लगाना चाहिए तथा चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
दिवाली खुशियो का त्योहार है इस लिए कोशिश करना चाहिए कि समाज के हर तबके तक खुशियो का पैगाम पहुंच सके गरीबो को भी कपड़ा व मिठाईया देनी चाहिए ताकि वो भी खुशिया मना सके कोशिश करना चाहिए कि मिट्टी के दीपक व मूर्ति का उपयोग अधिक करना चाहिए। जिससे वातावरण प्रदूषित होने से बचे।
दिपावली खुशियो का है त्योहार कोशिश करें कि समाज के हर तबके तक पहुचें खुशियो का पैगाम : डॉ. मंजू