चंदौली। एंटीबायोटिक दवा क्या है? ये हमारे शरीर पर कैसे काम करती है? के जबाब में चंदौली स्थित शिवनाथ हास्पिटल के डॉ स्वामी नाथ यादव ने परफेक्ट मिशन प्रतिनिधि से बताया कि एंटीबायोटिक औषधि एक पदार्थ या योग है, जो जीवाणुओं को मारता है एवं उनके विकास को रोकता है। आगे उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम यह पहचान करना आवश्यक है की रोग किसी बैक्टीरिया के द्वारा उत्पन्न है अथवा नही। प्राय: कई रोग विषाणुओ, कवकों से उत्पन्न होते है जहाँ एंटीबायोटिक असरदार नही होती। इसके लिए खून का जाँच,पेशाब की जाँच, मल की जाँच एवं रोगानुसार लक्षणों को देखकर ही उपयुक्त एंटीबायोटिक का प्रयोग करना चाहिए।
एंटीबायोटिक दवाओं की क्या खुराक है और इसका कोर्स पूरा करना जरुरी होता है के जबाब में श्री यादव ने बताया कि अमूमन अलग-अलग एंटीबायोटिक रोगानुसार रोग की दीर्घता ,मारक क्षमता, गंभीरता,लक्षणों के अनुसार ही खुराक बनायी जाती है। इसका कोर्स अवश्य पूरा करे। अन्यथा रोगो के लिए उत्तरदायी जीवाणु एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर लेते है। निमोनिया, क्षय रोग,टाइफाइड, यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन, डायरिया आदि रोगों में एंटीबायोटिक दवा उपयोग करना चाहिए। यदि वायरल फीवर की अवधी 7 दिन से अधिक हो जिसके स्वरुप शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से सेकेंडरी इंफेक्शन की सम्भावना हो , तो एंटीबायोटिक का प्रयोग स्वरुप किया जा सकता हैं। एक प्रश्न के जबाब में श्री यादव ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं को साइड इफेक्ट्स भी है। यह शरीर में कुछ स्वस्थ जीवाणुओं को भी मार देता हैं जो सामान्य रूप से शरीर में आंतो में निवास करते हैं जिनके अभाव से कई बार डायरिया भी उत्पन्न होता हैं। इसके अलावा कई बार मुख में कवक एवं त्वचा में कवक बढ़ सकते हैं।
एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव बोलते हुए डॉक्टर साहब ने बताया कि कई एंटीबायोटिक शरीर से सात्म्य नही होती हैं । जैसे अमोक्सिलिन या सल्फा ड्रग्स। इनको लेने पर शरीर के त्वचा पर प्रभाव पड़ सकता हैं। साथ में पेट में दर्द , डायरिया, मिचली आदि की शिकायत हो सकती हैं।
एंटीबायोटिक दवा बीच में खाना बंद न करें रोगी : डॉ. स्वामीनाथ यादव