लखनऊ। देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। त्रीस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान की होती है। इसके लिए हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी और ग्रामीण विकास की दृष्टि पर गौर करें तो एक गाव के विकास को देखकर दूसरा गाव भी इस ओर अग्रसर होगा। जब एक क्षेत्र में कोई गांव ओडीएफ या सुबिधायूक्त होगा तो अन्य गांवों के लोग संबंधित जन प्रतिनिधि पर वैसा ही विकास अपने यहां कराने के लिए दबाव डालेंगे और धीरे-धीरे पूरा क्षेत्र ही विकास की राह पर चल निकलेगा। ग्रामीण विकास का सपना साकार करने में ग्राम प्रधान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन यह तब होगा जब उस पर अमल होगा। अपने देश की एक बड़ी समस्या यह है कि शासन की योजना के मुताबिक प्रशासनिक तंत्र सक्रियता प्रदर्शित नहीं करता और इस कारण बड़ी से बड़ी योजना भी अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल हो जाती है। कभी-कभी तो लगता है कि शीर्ष नौकरशाही की विकास और व्यवस्था सुधार में दिलचस्पी ही नहीं रह गई है। शायद इसी कारण ज्यादातर सरकारी योजनाएं धरातल पर पहुंचते-पहुंचते अपनी राह से भटक जाती हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि योजनाओं पर अमल के लिए जो व्यवस्थाएं की जाती हैं, उनमें छेद तलाशकर अपनी जेबें भरने का सिलसिला शुरू हो जाता है। नौकरशाही के उदासीन रवैये के कारण अधिकांश योजनाएं धन की बर्बादी साबित होती हैं। ऐसे में परफेक्ट मिशन की टीम ने ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की जमीनी हकीकत को जानने के लिए ग्राम प्रधानों से की बात। आईए जानते हैं ग्राम पंचायतों के विकास कार्य ग्राम प्रधानों के जुबानी.......
विकास का सपना साकार करनें में ग्राम प्रधान की होती है महत्वपूर्ण भूमिका