अटूट धरोहर है श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर


सोनभद्र। श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर सोनभद्र की अटूट धरोंहरो में से एक है इस के मंदिर का प्राचीन इतिहास की बात किया जाए तो यह 19 अक्टूबर सन 1964 में  आसपास के आदिवासी यहां पूजन अर्चन किया करते थे तब डाला के कुछ प्रमुख नागरिकों ने मुरली तिवारी जी की देखरेख में मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ जो सन 1968 में पूर्ण हुआ । इस शिवालय की बडी मान्यताएं हैं महादेव के प्रांगण में दूर-दूर से शिव भक्त आते हैं और मनोकामनाएं लेकर आते हैं वह निश्चित हि सिध्द होती है यहां वर्ष में 3 कार्यक्रम जन्माष्टमी शिवरात्रि एवं 19 अक्टूबर से स्थापना दिवस के रूप में यज्ञ प्रवचन एवं साहित्य एवं शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम का आयोजन भी होता है जो एक सप्ताह तक चलता है जिस।


      ए देश-विदेश के कलाकारों  व गायको का भी समायोजन होता रहता है विशेषकर द्रुपद महोत्सव शिवरात्री एवं स्थापना दिवस पर ख्याल गायन एवं कथक नृत्य का आयोजन होता है सावन के दिनों में बाबा अचलेश्वर  महादेव के दरबार में शिवलिंग को लपेटे हुए नाग देवताओं का भी दर्शन हुआ करता है। जहा वर्ष भर दर्शनार्थीयो ,श्रध्दालुओ विधार्थियो व पर्यटको का रेला लगा रहता है।गुप्त काशी के नाम प्रचलित सोनभद्र का यह क्षेत्र पर्यटको को काफी प्रभावित भी करता है। जिसमे डाला स्थित अचलेश्वर महादेव मन्दिर के प्रति लोगो मे अटुट विश्वास भी बना है।