गुप्तकाशी के प्रमुख स्थल जहाँ ॠषियों ने की थी साधना



सोनभद्र। पाँच बडे राज्यों यूपी, बिहार, झारखण्ड,छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के कई जनपदो का सीमांकन करने वाले जनपद सोनभद्र (गुप्तकाशी)  यहाँ सृष्टि के उद्गम स्थल ओंम पर्वत सहित दुनिया के सबसे प्राचीन जिवास्म (फासील्स) अनेको गुफाऐ, गुफाओं मे चौराहे, भीतचित्र, झरने, दरियां, कुन्ड, जल स्रोत, नदियों का उद्गम व संगम सभी ॠषियों द्वारा पुजीत शिवलिंग, तपोस्थली, प्रतिमाएं, मंदिर, कई प्राचीन व तिलस्मी दुर्ग, वन अभ्यरण, सभी जानवरो की मांद सहित प्रकृति के हर उपादान मौजूद है। यह क्षेत्र सांस्कृतिक, धार्मिक, वनो, पहाड़ो, प्राकृतिक संसाधनो से परिपूर्ण एक पूर्ण ब्रह्माण्ड का स्वरूप है।
         सदर विधायक भूपेश चौबे एवं गुप्त काशी समिति के संयोजक रवि प्रकाश चौबे ने कहा कि देश की आजादी के बाद पहली बार आये देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व0 जवाहर लाल नेहरू जी ने इसे भारत के स्वीटजरलैड की उपमा दी थी । यह क्षेत्र अनादिकाल से गुप्त रहा स्वयं महादेव भूत भगवान शंकर ने भस्मासुर को दिये वरदान से बचने के लिए गुप्तकाशी का सहारा लिये और भस्मासुर यही भस्म हो पत्थर की मूर्ति बन गया जो गुप्ताधाम की गुफा के बाहर है। त्रेता युग मे वनवास के दौरान भगवान श्री राम जी ने गुप्तकाशीे की  परिक्रमा किया था। द्वापर युग मे अज्ञात वास के दौरान पान्डवों ने भी अपना समय व्यतित किया था। जिसकी निशानी के रूप में पाण्डु चट्टान नाम का स्थान है जहाँ कुन्ती की प्यास बुझाने के लिए तीर से फटी चट्टान मौजूद है जिससे आज भी अनवरत जल बहता रहता है।जिसे पाण्डु नदी के रूप मे सभी जानते है।
      वर्तमान मे यहाँ पर आदिवासियों के साथ सभी जातियाँ है निवास करती है, व इस क्षेत्र मे अनगीनत भाषाएं बोली जाती है। भारत सरकार का प्रथम पावर प्लांट शक्तिनगर, यूपी सरकार का प्रथम पावर प्लांट ओबरा, एल्मुनियम का प्रथम प्लांट रेनुकूट, यूपी सरकार का प्रथम सिमेन्ट कारखाना चुर्क सहित एशिया का सबसे बडा पावर हब है। एशिया का सबसे बडा क्रेशर हब, सबसे अच्छी  गिट्टी, बालू, कोयला, मोरंग सहित सोने व हीरे की पहाड़ीयों सहित दुनिया को पर्यावणीय विनाश से बचाने की छमता रखता है व प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाला जनपद है। सोनभद्र कुबेर का भण्डार व पूर्ण ब्रह्माण्ड है। इसके बारे मे जितना भी लिखा जाय, कहा जाय कम है।