वाराणसी। यूनियन बैंक के डीजीएम रहे सच्चिदानंद त्रिपाठी का गुरुवार को निधन हो गया तो उनकी चारों पुत्रियों ने न सिर्फ शव यात्रा में कंधा दिया बल्कि शव को बड़ी बेटी ने मुखाग्नि देकर मोक्ष नगर काशी में करवट ले रही परंपराओं की कडी में एक और फेहरिश्त जोड़ दी। सच्चिदानंद त्रिपाठी (65) मूल रुप से निवासी भभुआ, बिहार के रहने वाले थे जिनको लगभग एक वर्ष पूर्व गले में कैंसर की शिकायत हो गई थी। जानकारी होने के बाद से ही उनका इलाज निजी अस्पताल में कराया जा रहा था। लेकिन तकलीफ होने के साथ-साथ परेशानी धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी आखिरकार उन्होंने अंतिम सांस ली तो बेटियों ने वैदिक परंपराओं के अनुसार ही बेटों का फर्ज निभाकर एक नजीर पेश की। परिजनों के अनुसार डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए परिवार वालों को बताया था, जिसके बाद 14 जनवरी 2019 को मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में गले का ऑपरेशन किया गया। कुछ समय ठीक होने के बाद लगभग दो महीने से परेशानी उनकी दोबारा बढऩे लगी थी, जिसके बाद परिजन डॉक्टर से दोबारा इलाज करा रहे थे। लेकिन गुरुवार को अपने महमूरगंज निवास पर उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। परिवार में पत्नी सत्या त्रिपाठी और चार पुत्री में बड़ी पुत्री सरोजिनी, अन्नपूर्णा, अर्चना और सुधा ने मिलकर अपने पिता को बेटों की ही भांति कंधा दिया। घाट तक शव ले जाकर बड़ी पुत्री सरोजिनी ने पिता को मुखाग्नि देकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
काशी में बेटियों ने पिता को कंधा देकर दिया मुखाग्नि