आजमगढ़। स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत सरकार के पूर्व मंत्री लोकबंधु राजनारायण की 103 वींं जयंती पर जनपद के तमसा प्रेस क्लब सभागार में एक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए जयप्रकाश नारायण ने कहाकि लोकतंत्र के लिए चलने वाले किसी भी संघर्ष में राजनारायण प्रकाश पुंज की तरह रहेंगे, आज विश्व स्तर पर एक अनुदार दक्षिणपंथी फासिस्ट उभरा हुआ है जिसका असर भारत में भी है लेकिन इसके खिलाफ जनता टकराव में जा रही है, जनता के संघर्षों के बीच से नए नायक बनकर उभर रहे हैं जो उन्हें टक्कर दे रहे हैं।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए समाजवादी नेता डॉ. ज्ञान प्रकाश दूबे ने कहाकि आज के समय में लोकतंत्र का हनन आपातकाल से भी अधिक हो रहा है ऐसे में राजनारायण ज्यादा याद आते हैं । राजनारायण को मानने वालों को इस लोकतांत्रिक हनन के खिलाफ आज सड़क पर होने की जरूरत है । उन्होंने कहाकि आज गांधी की हत्या करने वाले मुखर हैं और गांधी को मानने वाले चुप हैं।
भाकपा माले नेता ओमप्रकाश सिंह ने कहाकि राजनारायण जी सड़क पर चलने वाले संघर्षों के नेता थे आज उनकी याद सड़क पर चलने वाले संघर्षों के साथ होना चाहिए। डॉ. बाबर अशफाक खान ने रामनारायण जी को याद करते हुए कहाकि सही मायनों में राजनारायण जी जन संघर्षों के नेता थे। जन संस्कृति मंच के सचिव डॉ रमेश मौर्य ने बीएचयू में डॉ. फिरोज खान के संस्कृत पढ़ाने का विरोध करने वालों को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहाकि यह धर्म का नहीं सत्ता का संघर्ष है। डीएवी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष रहे डॉक्टर बद्रीनाथ ने कहाकि हिंदूवादी विचारधारा का लक्ष्य हमेशा से अनुदाय और अलोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने का रहा है और वह उसके प्रचार-प्रसार के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं, जब से वह सत्ता में हैं उसे आक्रामक ढंग से लागू कर रहे हैं।
लोकतंत्र का हनन आपातकाल से से भी अधिक : डॉ ज्ञानप्रकाश