शासन के द्वारा चलाए जा रहे पोर्टल का उद्देश्य गुणवत्ता के साथ शिकायतो का करना है सीघ्र निस्तारण 
 चुनार (मीरजापुर)। शासन के द्वारा चलाए जा रहे पोर्टल का उद्देश्य जनमानस को सुविधा के साथ गुणवत्ता के साथ शिकायतो का सीघ्र निस्तारण करना है, लेकिन यहां शिकायत कि जा रही हैं कुछ और रिपोर्ट आ रही हैं कुछ। ज्ञात हो कि पूर्व मे एक महिला ने पोर्टल पर शिकायत कर के खतौनी के अधार पर निस्तारण करने कि बात कही जबकि पक्ष व विपक्ष के चल और अचल संपत्ति को लेकर वरासत के मुकदमा न्यायालय तहसीलदार चुनार मे विचाराधीन है।  शिकायत मे इलाकाई पुलिस बार बार भ्रामक व झूठी रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारी को आख्या प्रेषित कर रही है, जो  विपक्षी से पुलिस संम्लिप्तता बता रही है। मामला भरेहटा की है। वहीं दुसरी तरफ एक बरेवा के मामला की भी जानकारी हुई वही आरटीआई कार्यकर्ता प्रदीप शुक्ला ने  कहा कि आइजीआरएस  पर एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उनकी शस्त्र लाइसेंस का फार्म चुनार कोतवाली में किसी माफिया के इशारे पर किसी कर्मचारी अथवा अधिकारी  के द्वारा गायब कर दिया गया है। पुलिस ने इसके निस्तारण आख्या में प्रकरण को जमीन के किराए के विवाद  बताकर एक दूसरी आख्या अपलोड करके मामले को निस्तारित करा लिया गया, जिसका प्रमाण पोर्टल पर दर्ज संदर्भ संख्या 400 199 190 34 710 पर की जा सकती है।ज्ञात हो कि आरटीआई कार्यकर्ता प्रदीप शुक्ला ने गत 18 अक्टूबर को जनसुनवाई पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि एक पिस्टल के लाइसेंस का आवेदन किया है जो आर आई की कार्यवाही के बाद 8 अगस्त को पुलिस अधीक्षक  के  कार्यालय द्वारा जांच हेतु चुनार कोतवाली भेजी गई । जांच की कार्यवाही के दौरान किसी माफिया के इशारे पर कोतवाली के किसी   कर्मचारी एवं अधिकारी के द्वारा साजिशन फार्म  ही गायब कर दिया गया है।  शिकायत में शुक्ल ने  मांग की है कि इस मामले की जांच करवा कर  फार्म को बरामद किया जाए तथा साजिश एवं षड्यंत्र के तहत किए गए इस अनियमित कार्य में सम्मिलित व्यक्तियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए  शिकायत के निस्तारण में चौकी इंचार्ज कजरहट ने पोर्टल पर  जानबूझकर शिकायतकर्ता को  परेशान करने  तथा  उसका  समय नष्ट करने के लिए एक दूसरी शिकायत की आख्या अपलोड की है ।

       उसमें बताया गया है कि जमीन के किराए की लेन-देन का विवाद चल रहा है दोनों पक्षों को शांति भंग की आशंका में सीआरपीसी की धारा 107 116 में निरुद्ध किया गया है। इस आख्या पर कोतवाल  की भी संतुति मिल गयी और निस्तारण भी हो गया ।  कोतवाली  पुलिस के इस  मनमानी निस्तारण से असंतुष्ट प्रदीप शुक्ला ने महकमे पर आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस अधिकारी मेरे सुरक्षा जैसे गंभीर विषय पर आवश्यक कार्रवाई करने की बजाय  लंबे समय से  माफियाओं के इशारे पर  तरह-तरह की षड्यंत्र करके उत्पीड़न का कार्य  कर रही है।  इस बार भी  उनके द्वारा किसी माफिया के इशारे पर  ही जानबूझकर लाइसेंस का फॉर्म  गायब  करा दिया गया है  और  शिकायत करने पर मनमाने तरीके से गलत एवं झूठी आख्या प्रस्तुत कर समय नष्ट कर रहे ।उन्होंने उच्चाधिकारियों से यह मांग की है कि तत्काल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही की जाये तथा हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए। मुख्यमंत्री की निगरानी मे   संचालित पोर्टल पर अधिकारियों के मनमानी  की चर्चा तहसील के पास चाय पान के दुकानो पर जमकर  हो रही हैं।