विश्वविद्यालय में होनी चाहिए छात्राओं के कुपोषण की जांच : आनंदीबेन पटेल


वाराणसी।  विश्वविद्यालयों में छात्राओं के कुपोषण की जांच होनी चाहिए। यदि कोई छात्र कुपोषित मिलती है तो उसके अभिभावक व चिकित्सक से सलाह लेकर कुपोषण की समस्या दूर करानी चाहिए। यदि छात्राओं में कुपोषण दूर हो गया तो देश की आने वाली पीढ़ी से कुपोषण खत्म हो जायेगा। यह बात राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 41 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बच्चों में परिवार से संस्कार नहीं मिल रहा है जबकि जन्म से पहले ही बच्चों को संस्कार वाली शिक्षा मिलनी चाहिए। इसका सबसे बड़ा बड़ा उदाहरण महाभारत में अभिमन्यू का जन्म है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से सिर्फ पदक व उपाधि ही नहीं मिलनी चाहिए। बल्कि गर्भ से संस्कार देने का काम होना चाहिए। ऐसा करके ही हम भारत को फिर से विश्व गुरु बना सकते हैं।


         उन्होंने कहा कि युवाओं को दहेज जैसी कुरीतियों का विरोध करना चाहिए। युवा ही सोशल चेंज ला सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों का प्राइमरी व माध्यमिक शिक्षा से कोई मतलब नहीं रह गया है यह एक समस्या है। विश्वविद्यालयों को प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों से जुडऩा चाहिए। वही से शिक्षा प्राप्त करके बच्चे विश्वविद्यालय तक पहुंचते हैं। बदलाव लाने के लिए यह कदम उठाना होगा। जो बच्चे प्राइमरी व माध्यमिक शिक्षा में पढ़ कर विश्वविद्यालय तक पहुंचते हैं उन्हें पता होती है कि अध्ययन के दौरान क्या समस्या आती है, जिसका निदान करने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सभी जगहों पर जाती हूं तो पता चलता है कि मेडल पाने वालों में छात्रों से अधिक छात्राओं की संख्या है। छात्रों को इस पर चिंतन करना चाहिए कि आप क्यों पिछड़ रहे हैं। इस विषय को शोध में शामिल करने से समस्या का कारण पता चलेगा और फिर उसे दूर करने में आसानी होगी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान व कौशल से जोडऩा है। देश को नॉलेज मेें सुपर पावर बनाने के लिए यह करना जरूरी है। ज्ञान, विज्ञान व वैश्वीकरण के दौर में शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा जगत की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बहुत जरूरी है शिक्षा ऐसी चीज होती है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता है।


            बतौर मुख्य अतिथि नैक के निदेशक डा.एससी शर्मा ने कहा कि व्यवसायिक शिक्षा का उद्देश्य नौकरी के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करना होता है। इस शिक्षा से हम नौकरी प्राप्त कर सकते हैं जो जीवकोपार्जन के लिए बहुत जरूरी है लेकिन यह शिक्षा पर्याप्त नहीं है। शिक्षा के बारे मेें व्यापक दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। छात्रों को कौशल विकास के साथ अच्छा नागरिक बनाने की शिक्षा मिलनी चाहिए। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने 55 मेधावी छात्रों को पदक देकर सम्मानित किया। समारोह में खास तौर पर बुलाये गये दिव्यांग बच्चों को राज्यपाल ने किताबे भेंट की। स्वागत भाषण वीसी प्रो.टीएन सिंह, संचालन प्रो.वंशीधर पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डा.साहब लाल मौर्य ने किया।